हां, मुझे अपने हाथों से मोहब्बत है,
लिखी जिनमें मेरी किस्मत है.

कभी पापा ने पकड़ चलना सिखाया था,
कभी मां ने मुझे लिखना सिखाया था.

इन्हीं से मैंने अपना चेहरा छिपाया था,
वो टीचर की डांट ने जब मुझे रुलाया था.

आंसू पोंछने के लिए मेरे तब कोई,
आगे और नहीं आया था.

लिखनी इन्हीं के दम पर मुझे अपनी सफलता की कहानी है,
अभी तो इनमें उसके नाम की मेहंदी भी लगानी है.

थामे जो इन्हें दिलकश शिद्दत से
उस शख्स का मुझे इंतजार है,
हां, मुझे अपने हाथों से बहुत प्यार है.

पढ़ें ये भी कविता – जमाने से हो रही हूं तन्हा, ओ मेरे कान्हा

पढ़ें ये भी कविता – लफ्ज़ों से तुम कुछ कह ना पाओ, आओ मेरे हमसफर आओ

पढ़ें ये भी कविता – इक प्यारा सा घरौंदा मेरे घर में नजर आया है…

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here