अजब सा सुकून आज मेरे दिल में छाया है,
इक प्यारा सा घरौंदा मेरे घर में नजर आया है.
कभी मैं भी उठती थी सुनकर चिड़ियों की चहचहाहट,
अब तो बंद कमरों में लेती रहती हूं करवट,
सोचती हूं वो भी क्या दिन थे,
जब हर घर के आंगन में चिरैयों के झुंड थे.
अब दूर-दूर तक दिखता टॉवरों और तारों का साया है,
इक प्यारा सा घरौंदा मेरे घर में नजर आया है.
मुझे याद है जब-जब आती थी चिलचिलाती गर्मी,
परिंदे तड़पते थे भूख से, सूरज न दिखाता था नरमी,
इन बेजुबानों को हमेशा देना दाना-पानी,
यही तो हम सबको सिखाते थे नाना-नानी.
घरौंदों को छोड़ अब बिल्डिंगों में हर कोई निकल आया है,
इक प्यारा सा घरौंदा मेरे घर में नजर आया है.
बाबा मैंने जब चलना सीखा था,
इन परिंदों ने तो मेरे साथ खेला था,
मां आंगन में मुझे छोड़ देती थी,
पकड़म-पकड़ाई मैं इन्हीं के साथ खेलती थी.
परिंदों के दुश्मनों ने बालकनी में प्लास्टिक जाल लगवाया है,
इक प्यारा सा घरौंदा मेरे घर में नजर आया है.
कभी चिड़ियों को ही देखकर बच्चे करते थे स्माइल,
आजकल के मां-बाप सीधे पकड़ा देते हैं मोबाइल,
भूल रहे लोग कोयल, गौरैया और मैना को,
आने वाली पीढ़ी देखेगी केवल इनकी फाइल.
जिन परिंदों ने तुमको दिया प्यार, नफरतों को तुमने लौटाया है,
इक प्यारा सा घरौंदा मेरे घर में नजर आया है.
एक-एक तिनका चुगकर जिसने सिखाया तुमको घरौंदा बनाना,
आज उसे पनाह तो दूर नहीं डालते तुम खाने को दाना,
आखिर क्या इन बेजुबानों ने तुम्हारा बिगाड़ा है,
जो इनके जंगलों-घोंसलों को तुमने उजाड़ा है.
तुम्हारे घर के कीड़े-मकोड़े खाकर इन्होंने गंदगी को मिटाया है,
इक प्यारा सा घरौंदा मेरे घर में नजर आया है.
याद मुझे आज उन्हीं परिंदों की आती है,
चिड़िया रानी क्यों नहीं अब मेरे अंगना में चहचहाती है,
सबकी बालकनी में अब दाना-पानी रखवाउंगी मैं,
कितनी ही रूठी होगी, फिर भी मनाऊंगी मैं.
माफ करना हम इंसानों को, बहुत हमने तुम्हें सताया है,
इक प्यारा सा घरौंदा मेरे घर में नजर आया है.
Nice lines 👌😊😍
Osssm Credit Goes to Aaaluuuu
Beautiful lines❤
Lovly
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